चोट दर चोट सहता है,ये घायल का मुक़द्दर है। लिपट कर पाँव से बजती,ये पायल का मुक़द्दर है। अकिंचन नींद को कोई,उमर सारी तरसता है, चैन से नैन में सोता!यह काज़ल का मुक़द्दर है। ज़मीं पर देख कर उसको,मुझे जन्नत नजर आई! गुज़ारिश थी यह नज़रों की,या थी वह एक परछाईं। यह क़िस्सा आज कहता हूँ,तुम्हें जो दिल के अंदर है- मोहब्बत में कोई हारा हुआ भी तो सिकंदर है। मैं अल्हड़ता में दिल अपना उसे देकर के आया था! मुझे लगता था वह जैसे, मेरी धड़कन का साया था। अज़नबी ने मेरी साँसों को,अपना सा बनाकर के! मेरे ख्वाबों की महफ़िल को सितारों से सजाया था। मेरी पहली मोहब्बत की कहानी तो अधूरी है। कई रस्में पड़ी भारी रिवाज़ों की उधारी है। मेरा दिल तोड़ कर मुझसे मेरा हक छीन लेते हैं। मगर अफ़सोस भी उनको,बड़ा पछतावा भारी है॥ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi