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धूर्त लोगों की मीठी-अतिविनम्र भाषा को गटकना नहीं ह

धूर्त लोगों की मीठी-अतिविनम्र भाषा को गटकना नहीं है।
न ही अपनी गर्दन इनके हाथों में सौंपनी है। मातृ देवो भव!
भारत ही है एक देश विश्व में
जहां पूजते हैं मां को आज भी,
प्रत्यक्ष में भी वही करती है
निर्माण संस्कृति का, वही संस्कार है
धरती मां है, सदा कल्याणकारी
जननी और पोषक बन गई आज
संहारक भी।
धूर्त लोगों की मीठी-अतिविनम्र भाषा को गटकना नहीं है।
न ही अपनी गर्दन इनके हाथों में सौंपनी है। मातृ देवो भव!
भारत ही है एक देश विश्व में
जहां पूजते हैं मां को आज भी,
प्रत्यक्ष में भी वही करती है
निर्माण संस्कृति का, वही संस्कार है
धरती मां है, सदा कल्याणकारी
जननी और पोषक बन गई आज
संहारक भी।

मातृ देवो भव! भारत ही है एक देश विश्व में जहां पूजते हैं मां को आज भी, प्रत्यक्ष में भी वही करती है निर्माण संस्कृति का, वही संस्कार है धरती मां है, सदा कल्याणकारी जननी और पोषक बन गई आज संहारक भी। #गुलाब #शिक्षा #पंछी #पाठक #स्त्रेण