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मैं जिसे चांद कहता था , अब वह नाराज है चांद की खुर

मैं जिसे चांद कहता था , अब वह नाराज है
चांद की खुरदरी हकीकत का , खुल गया  राज है !

सोचता हूं  मैं उन्हें  , अब मनाऊं कैसे..?
सारे शायरों की गजलें , आज बे-आवाज है !
             ✍️
अनवर हुसैन अणु भागलपुरी

©Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
  #चंद्रायन 3