एक बच्चा उठ के गिर गिर ख़ुद सम्हलना चाहता है। पूरी कोशिश काँपते हिलते वो चलना चाहता है उसका अति उत्साह मुस्कानों जड़ित ऐसा कि जैसे फड़फड़ाकर पंख चूज़ा नभ में उड़ना चाहता है हमने उनके पद तलों के तिलक करती धूल छीने यानी गुलशन से सभी जो अनखिले थे फूल छीने मृत हुई जिज्ञासा मृत व्यक्तित्व की सम्भावनाएं संगमरमर के घरों में कैद उनकी दस दिशाएं कागजों की कब्र में है दफ़्न बचपन जी रहा है कागज़ों को खा रहा है और सियाही पी रहा है। ©Santosh Pathak #बचपन #बोझ #शोषण #OneSeason