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White (पोस्टमार्टम ) ज़हर खा कर चुपचाप, अकेले कमरे

White (पोस्टमार्टम )
ज़हर खा कर चुपचाप,
अकेले कमरे में,
सबको अंतिम शुभ रात्रि कह कर मर जाना
बहोत दर्दनाक मौत है!!
हाँ!!
ये मेरा ही पोस्टमार्टम हो रहा है!!
नौ महीने पनपे बीज से निकले
वृक्ष की देख रहा हूं चीर फाड़!!
सोचते होंगे तुम-
क्यूँ नहीं चला जाता
इस कक्ष से बाहर??
यही तो नर्क है!!
यमदूतों की तरह दो सरकारी,
दारु पिए कर्मचारी मेरी करेंगे उधेड़ बुन!!
कभी अपना मोबाइल
किसी अजनबी को दे कर गए हो.....???
बस ऐसे ही नहीं छोड़ी जाती देह!
अनजान लोगों के सहारे!!
 इस देह से बड़ी संपत्ति और क्या होगी??
निकाली जाएंगी मेरी आँखें
जिनमे कितने ख्वाब बसे थे!!
कालीन की तरह लपेट कर रखी थी कई प्रतीक्षाएं!!
कितने लोगों की तस्वीरें!!
सब नोच ली जाएंगी!!
जिसे भरने की जद्दोजहद ख़त्म नहीं होती थी
चीर दिआ जाएगा उस पेट को!!
जिसमे तुम्हें रखा था
उस दिल को ही जिस्म से निकाल दिआ जाएगा!!
दिमाग़ जिसमे चलता रहता था
जीवन समर!!
जिंदगी का रंग मंच,
बेवकूफीया,
चाल बाज़ियाँ!!
निकाल कर रख दिआ जाएगा
किसी शीशे के जार में!!
जिस देह में भरता था व्यंजन!!
भूसा भरा जाएगा!!
सिया जाऊँगा बौरे की तरह!!
कितना डरा हुआ आनंद आ रहा है ना तुम्हें
पढ़ने में........
इतना....
कि तुम पूछना ही भूल गए
मेरी आत्महत्या का कारण!!

©DRx Khan
  #night  Neha verma Arshad Siddiqui heartlessrj1297 Ak.writer_2.0 Mittal g....Aligarh