बचपन कहां जिया है इन्होंनें हम सा ...? वजह हम सी मुस्कुरानें की कहां मिली है इनको ..? यूं तो सरल नही होता किसी का भी जीवन पर हम सा जीवन कहां मिला है इनको ...? इनका हंसना भी तो ईश्वर का हंसना है न ...? इनके चेहरों में भी खुशी और सुकूं जचता है न ...! इनमें भी तो ईश्वर बसता है न ..? फिर क्यूं हम अलग रखतें हैं खुद को इनसें , क्यूं हम इनके अस्तित्व को महत्व नही देते ...? पढ़ना , खिलौनें खेलना ,सपनें देखना , उन्हें पूरा करने का प्रयत्न करना , सबकुछ जाननें का उत्साह रखना , हमसा जीवन जीनें का अधिकार होना इन्हें भी तो है न ! इंसा हो ग़र तो कभी इनकी परवाह भी करना थोडा़ सा अपना प्रेम इन्हें भी देना ... -Kajalife विश्व बाल श्रम निषेध दिवस .... 12 june