दुनिया बचाने को दुनिया कहीं अब, खत्म न हो जाय हमे ही आगे आना होगा। मानव-मानव का दुश्मन हो गया मानवता को बचाने अब आना होगा। परेशानियां भी, क्या कुछ कम थी? जो अब "बम" बनाने लगे। तमाम हथियारों की ढेर लगी, अब, ये जग बचाने आना होगा। झेल रहे थे प्रदूषण, पहले भी उसमे, प्लास्टिक का आना हुआ। साफ-सुथरा भोजन था अब, रसायन का आना हुआ। हँसते-खेलते पेड़-ताल थे, अब, इच्छाओं का आना हुआ। देखते-देखते ही सब मिट रहा अब, धरा बचाने स्वयं आना होगा। संस्कृतियां, परंपराए अब हांफ गई इनका अस्तित्व बचाना होगा। जल, जंगल, जमीन और जानवर के लिए, हम सबको आगे आना होगा। आज, हर चीज दूषित, दूषित जीवन है इस दुनिया से दुष्कार्य-दूषित हटाना होगा। ये धरती हमसब की हैं, अब स्वहित छोड़ जनहित के लिए आगे आना होगा। हर मानव इंसान बन जाय, इसलिए धरती बचाने, इंसानियत को जगाना होगा। कही देर न हो जाय- अब तत्क्षण दुनिया कही अब, खत्म न हो जाय हमे ही आगे अब आना होगा…. ©saurav life #Earth_Day_2020 #spmydream सुधार केवल हमारी जुबान तक ही न हो बल्कि हमारे कर्मों में भी हो। हम ज्यादा कुछ भले न कर सके लेकिन ये जरूर ध्यान रख सकते कि कम-से-कम हमारे वजह से प्रकृति को नुकसान न हो।