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वैसे तो पश्चिम दिशा का सुर्य भी सुर्योदय ही होता ह

 वैसे तो पश्चिम दिशा का सुर्य भी सुर्योदय ही होता है लेकिन हमे बचपन से पुर्व दिशा के सुर्य को ही सुर्योदय कहना सिखाया गया,,,, जबकि हकीकत तो यह है कि,,जिस वक्त जिस सुर्य को आधी दुनियाँ गुड मॉर्निग कहती उसी वक्त आधी दुनियाँ उसी सुर्य को गुड ईवनिंग कहती और जिस सुर्य को आधी दुनियाँ गुड ईवनिंग कहती उसी वक्त आधी दुनियाँ उसी सुर्य को गुड मॉर्निग कहती है,,,,,,, हमारी कुदरत कितनी महान व विशाल है जिसके संचालन के लिये ईश्वर को भी दो पारियो की व्यवस्था करनी पडी क्योकि "एक साथ सम्पुर्ण जगती का संचालन करना मुश्किल है,,,,,,,,,हम तो अब टाईम टेबल बनाने सिखे है जिसकी कोई गारंटी नही की वह शाश्वत रहे लेकिन कुदरत का टाईम टेबल इतना महान है कि "एक पल का भी बदलाव नही हुआ और प्राकृतिक पिण्ड इतने अनुशासित व कर्तव्य निष्ठ जिसकी कल्पना तक हम नही कर सकते,,,, सुर्य कभी कभी एक सैकण्ड भी लेट नही हुआ,,,कभी भी अवकाश नही लिया,,, चंद्रमा कभी भी अपनी कलाबाजिओ मे परिवर्तित नही हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,, आखिर इस कुदरत का संचालन करने वाला जो भी परवरदिगार है उसकी लीडरशीप पर वास्तव मे गर्व होता है,,,,,यदि हम हमारी कुदरत से सीखे तो भी हम बहुत ही कुछ कर सकते है,,,,,,,,,,,,,,,,आज शिक्षित होकर भी इंसान जातपात,धर्म मे उलझता है तो उसकी मुर्खता तो वास्तव मे हास्यापद है,,,,,,,,,,,,,,,अत संतुलित जीवन जीये,,,,,, आपका _____ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की,,9549518477  Sweta Kushwaha Samiksha K R Prbodh Nikita Shejul शब्द दिल से ।। by Neha Panwar
 वैसे तो पश्चिम दिशा का सुर्य भी सुर्योदय ही होता है लेकिन हमे बचपन से पुर्व दिशा के सुर्य को ही सुर्योदय कहना सिखाया गया,,,, जबकि हकीकत तो यह है कि,,जिस वक्त जिस सुर्य को आधी दुनियाँ गुड मॉर्निग कहती उसी वक्त आधी दुनियाँ उसी सुर्य को गुड ईवनिंग कहती और जिस सुर्य को आधी दुनियाँ गुड ईवनिंग कहती उसी वक्त आधी दुनियाँ उसी सुर्य को गुड मॉर्निग कहती है,,,,,,, हमारी कुदरत कितनी महान व विशाल है जिसके संचालन के लिये ईश्वर को भी दो पारियो की व्यवस्था करनी पडी क्योकि "एक साथ सम्पुर्ण जगती का संचालन करना मुश्किल है,,,,,,,,,हम तो अब टाईम टेबल बनाने सिखे है जिसकी कोई गारंटी नही की वह शाश्वत रहे लेकिन कुदरत का टाईम टेबल इतना महान है कि "एक पल का भी बदलाव नही हुआ और प्राकृतिक पिण्ड इतने अनुशासित व कर्तव्य निष्ठ जिसकी कल्पना तक हम नही कर सकते,,,, सुर्य कभी कभी एक सैकण्ड भी लेट नही हुआ,,,कभी भी अवकाश नही लिया,,, चंद्रमा कभी भी अपनी कलाबाजिओ मे परिवर्तित नही हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,, आखिर इस कुदरत का संचालन करने वाला जो भी परवरदिगार है उसकी लीडरशीप पर वास्तव मे गर्व होता है,,,,,यदि हम हमारी कुदरत से सीखे तो भी हम बहुत ही कुछ कर सकते है,,,,,,,,,,,,,,,,आज शिक्षित होकर भी इंसान जातपात,धर्म मे उलझता है तो उसकी मुर्खता तो वास्तव मे हास्यापद है,,,,,,,,,,,,,,,अत संतुलित जीवन जीये,,,,,, आपका _____ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की,,9549518477  Sweta Kushwaha Samiksha K R Prbodh Nikita Shejul शब्द दिल से ।। by Neha Panwar