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अपनी किताबों में ना दिल दुआ है अपने दिल में तो बस

अपनी किताबों में ना दिल दुआ है
अपने दिल में तो बस सजा है
न पल हैं खुशी के ना रंग हैं कहीं के
अब तो ये सारा जहां बेवफा है।।।

कदम इस जहां के हम पर हैं हंसते
हम तो अभी तक मरते जवां हैं
न कस्ती का कोई सहारा पता है
हम को तो बस अपने दिल से खाता है।2।

   कसम इस जहां की खाकर मैं कहता
कि हम तो अभी तक मरते जबां हैं
न खोवाबो का कोई फसाना रखा है
हमको तो बस तेरी याद ने जिंदा रखा है।3।

©Ank Jain
  कैसी है ये पीर
ankjain8379

Ank Jain

New Creator

कैसी है ये पीर #कविता

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