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आँखें मूँद लूँ तो तुम क्षितिज पर उगता हुआ सूर्य लग

आँखें मूँद लूँ तो
तुम क्षितिज पर उगता हुआ सूर्य
लगाऊँ ध्यान तो
मौली पर अवस्थित तुम ही तूर्य
निकालूँ कल्परथ
सत्वर तुम उस पर भी अरुह्य
गुनु जब मौन तो
तुम ही सरबस रस माधुर्य
बोलूँ तो वाणी में
तुम रव-रव रूपायित स्फूर्त
हर सूरत-मूरत में
तुम ही तो हो प्रिय प्राण अमूर्त #toyou#yqabstract#yquniversal#yqlove#yqphenomenal
आँखें मूँद लूँ तो
तुम क्षितिज पर उगता हुआ सूर्य
लगाऊँ ध्यान तो
मौली पर अवस्थित तुम ही तूर्य
निकालूँ कल्परथ
सत्वर तुम उस पर भी अरुह्य
गुनु जब मौन तो
तुम ही सरबस रस माधुर्य
बोलूँ तो वाणी में
तुम रव-रव रूपायित स्फूर्त
हर सूरत-मूरत में
तुम ही तो हो प्रिय प्राण अमूर्त #toyou#yqabstract#yquniversal#yqlove#yqphenomenal