तन गोरा तेरी पतली कमर चढ़ता यौवन सोला की उमर बड़ी आंख धरी मुख के ऊपर ज्यों कोई कमल खिला हो सर तेरे उर से उभरता सा यौवन छूकर के पवन करता पावन हंस बात करे मानो फूल झड़ें फूलो का रंग सभी पे चढ़े मेरे गांव गई उड़ धूल चढ़ी लगे मानो कपूर में धूल पड़ी तुम धूल धवल संग अतिसुंदर उपमा न मेरे मुंह से कढ़ी तुम कामदेव की दुल्हन सी इस लोक कौन से कुल उपजी तू कोमल ललित नवल कोपल सी सोहे मन देख भरे ना जी ©दीपेश #Beauty #Love #Like महाकवि केशव के पद से प्रेरित