ख़याल पुख़्ता ज़रूर हों मगर लहजा नरम रखो नैज़ों से जो गुज़रो तो बचाते हुए सर ऊंचा रखो कड़को कभी बिजली की तरह और कभी खामोश रह लो तरकश में हर तीर लिए इस दौर में जीने का सलीक़ा रखो 19/7/20 Your quote Baba Your Quote Fan