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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा उतारी थी जिसक

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा  उतारी थी जिसकी कभी नज़र हमनें,
 आज उसको ही नज़रों से
 उतरते देखा। #नज़रों से उतरते देखा
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा  उतारी थी जिसकी कभी नज़र हमनें,
 आज उसको ही नज़रों से
 उतरते देखा। #नज़रों से उतरते देखा