तुम पलट कर मेरी ज़ानिब अब न आना...सनम मेरी बर्बादियों रहम फ़रमाना तुम्हें मेरी....कसम क्या हुआ क्यूँ हुआ हमकों तो कुछ भी याद नहीं भूल बैठा हूँ मैं हर फ़साना सनम कोई बात नहीं तुम पलट कर मेरी ज़ानिब अब न आना...सनम मेरी बर्बादियों रहम फ़रमाना तुम्हें मेरी... कसम सोचना अब न सनम....मैं किस हाल में हूँ माज़ी हो बैठा..तेरा दफ़्न गुज़रे साल में हूँ ख़ाली बोतल सा इश्क़, दिल टूटा सा पैमाना सनम देख कर कहते तेरे शहर के लोग..मैं दीवाना सनम तुम पलट कर मेरी ज़ानिब अब न आना...सनम मेरी बर्बादियों रहम फ़रमाना तुम्हें मेरी....कसम चंद रोज़ और आह सुन लो कह न पाऊँगा पत्थरों के शहर का पत्थर मैं भी हो जाऊँगा सह न पाऊँगा ज़ख्म तेरे तुम न आना सनम इल्तज़ा इतनी है ठोकर न तुम लगाना सनम तुम पलट कर मेरी ज़ानिब अब आ आना...सनम मेरी बर्बादियों रहम फ़रमाना तुम्हें मेरी.....कसम ©kumar_sanjeev #NojotoQuote मृगतृष्णा