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कुछ तो ख्वाब रहने दो| पर-ए- सुर्खाब रहने दो| मुझे

कुछ तो ख्वाब रहने दो|
पर-ए- सुर्खाब रहने दो|

मुझे मदहोश करने को तेरी नज़रें काफी हैं,
तुम वो शराब रहने दो|

जमाने की तमाम अच्छाईयां तुम्हें मुबारक मगर मुझे,
तुम तो खराब रहने दो|

इसे ग़र देता हूँ उसे कहीं एहसास ए कमतरी न हो,
तुम वो गुलाब रहने दो|
बडे़ दिनों बाद मिलीं हैं तन्हाइयाँ पढो़ हमको,
तुम वो किताब रहने दो|

शेष ग़ज़ल आप मेरे फेसबुक पेज अम्बिका मिश्रा' प्रखर'पर पढ़ सकते हैं #nojotoshayari#nojotohindi#nojotopoem#nojotojazbat#nojotoankahi#nojotolove
कुछ तो ख्वाब रहने दो|
पर-ए- सुर्खाब रहने दो|

मुझे मदहोश करने को तेरी नज़रें काफी हैं,
तुम वो शराब रहने दो|

जमाने की तमाम अच्छाईयां तुम्हें मुबारक मगर मुझे,
तुम तो खराब रहने दो|

इसे ग़र देता हूँ उसे कहीं एहसास ए कमतरी न हो,
तुम वो गुलाब रहने दो|
बडे़ दिनों बाद मिलीं हैं तन्हाइयाँ पढो़ हमको,
तुम वो किताब रहने दो|

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