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इश्क़ दिल पे दस्तक दे तो संभल जाना ये होती उम्र क

इश्क़ दिल पे दस्तक दे तो संभल जाना

ये होती उम्र की दखल अंदाजी है माना..

उफनती हो दरिया तो किनारे मत जाना 

चाहत की फितूर संभल कर आजमाना 

चलते फिरते "सीटियाँ" जब बजने लगे

बजाने वाले बेगैरत या अपने 'सगे' लगे 

वक्त संभलने का समझ के संभल जाना

भाषा गैरजमानती लगे करीब मत जाना 

इश्क़ दिल पे दस्तक दे तो संभल जाना

ये होती उम्र की दखल अंदाजी है माना..

©अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश " #इश़्क #अनुषी_का_पिटारा
इश्क़ दिल पे दस्तक दे तो संभल जाना

ये होती उम्र की दखल अंदाजी है माना..

उफनती हो दरिया तो किनारे मत जाना 

चाहत की फितूर संभल कर आजमाना 

चलते फिरते "सीटियाँ" जब बजने लगे

बजाने वाले बेगैरत या अपने 'सगे' लगे 

वक्त संभलने का समझ के संभल जाना

भाषा गैरजमानती लगे करीब मत जाना 

इश्क़ दिल पे दस्तक दे तो संभल जाना

ये होती उम्र की दखल अंदाजी है माना..

©अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश " #इश़्क #अनुषी_का_पिटारा