मानव,मानव होने का हक खो दिया।। दुःख, पीड़ा और संघर्ष से आत्मा भी रो दिया।। झुलस चुकी है आशाएं अब,याद रहे मानवता की आड़ में,ये कैसा जहर बो दिया।। -@कवि प्रेमसागर मानव,मानव होने का हक खो दिया।। दुःख, पीड़ा और संघर्ष से आत्मा भी रो दिया।। झुलस चुकी है आशाएं अब,याद रहे मानवता की आड़ में,ये कैसा जहर बो दिया।। -@कवि प्रेमसागर