उलझनें कब खत्म हुई हैं जिंदगी से आती रहेंगी मुश्किलें हम लड़ते रहेंगे आओ बैठो मेरे पास ये सब तो करते रहेंगे, जरा समझो ये गम बेवजह हमसे क्यूं लिपट रहें हैं हम आज में जीना भूल गए बीते कल में जो सिमट रहें हैं खुलकर जीते हैं ना जिंदगी एक बार ही मिलती है इस पल को जीते हैं जिंदगी की साख पर हर मौसम में कलियां नहीं खिलती है सबको पता है एक दिन मिट्टी में मिल जाना है फिर भी देख रहे हो ना कितना उलझा ज़माना है, रेगिस्तान में धूप से बेसुध को लगता है बस आगे ही थोड़ी दूर पर पानी है वहां पहुंच कर मिलती है रेत फिर लगता है बस आगे ही मंजिल मिल जानी है असल जिंदगी में भी सबकी यही कहानी है। कोई कहां रुका है कहीं जा कर धरती पर रहने वाला खुश नहीं है चांद को भी पा कर अनन्त है इच्छाएं ये भूख कभी ख़त्म नहीं होती है ये दुनियां सबकुछ पा कर भी रोती है। थोड़ा सा सब्र समझदारी रखना सिखीए जितना है उतने में खुश रहना सीखीए ©Nikhil Kumar #कुछ_खयाल #duniya #nik_Thoughts Tanya Sharma (लम्हा) chandni