जीस्त-दर-जीस्त रूह ठिकाने बदलती रही , शराब वही रही , बस पैमाने बदलती रही । (१) वो मिला नही तो भी मुझे कोई गिला नही , ज़िन्दगी थी अपने अफसाने बदलती रही।(२) समंदर भर की प्यास लिए दरिया पे बैठे रहे , प्यास थी कि बारहा बहाने बदलती रही। (३)