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जीस्त-दर-जीस्त रूह ठिकाने बदलती रही , शराब वही रही

जीस्त-दर-जीस्त रूह ठिकाने बदलती रही ,
शराब वही रही , बस पैमाने बदलती रही । (१)

वो मिला नही तो भी मुझे कोई गिला नही ,
ज़िन्दगी थी अपने अफसाने बदलती रही।(२)

समंदर भर की प्यास लिए दरिया पे बैठे रहे ,
प्यास थी कि बारहा बहाने बदलती रही। (३)
जीस्त-दर-जीस्त रूह ठिकाने बदलती रही ,
शराब वही रही , बस पैमाने बदलती रही । (१)

वो मिला नही तो भी मुझे कोई गिला नही ,
ज़िन्दगी थी अपने अफसाने बदलती रही।(२)

समंदर भर की प्यास लिए दरिया पे बैठे रहे ,
प्यास थी कि बारहा बहाने बदलती रही। (३)
rajeshsuryavansh1699

Rajesh Raana

Silver Star
Growing Creator