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मन कहीं तो चैन पाना चाहता हैं उड़ रहा व्याकुल विह

मन कहीं तो चैन पाना चाहता हैं 
उड़ रहा व्याकुल विहग सा मन दुःखी है
तोड़ जिसका नीड़ निष्ठुर जग सुखी है।
है कठिन परिचय सभी का हास से हो
धैर्य लेकिन टूट जाना चाहता है।

मन कही तो......
देखता है कौन किसके घाव गहरे
क्या भरोसा साँस कितनी देर ठहरे।
यह समय का फेर इसका क्या पता है
हाय! जीवन मुस्कुराना चाहता है।

मन कहीं तो....
क्यों मुझे बेचैनिया अपना समझती 
ज़िंदगी की हर कड़ी मेरी उलझती।
है अँधेरी रात सी तक़दीर मेरी
मन मगर दीपक जलाना चाहता है।

मन कहीं तो .....
 Its all about me........
मन कहीं तो चैन पाना चाहता हैं 
उड़ रहा व्याकुल विहग सा मन दुःखी है
तोड़ जिसका नीड़ निष्ठुर जग सुखी है।
है कठिन परिचय सभी का हास से हो
धैर्य लेकिन टूट जाना चाहता है।

मन कही तो......
देखता है कौन किसके घाव गहरे
क्या भरोसा साँस कितनी देर ठहरे।
यह समय का फेर इसका क्या पता है
हाय! जीवन मुस्कुराना चाहता है।

मन कहीं तो....
क्यों मुझे बेचैनिया अपना समझती 
ज़िंदगी की हर कड़ी मेरी उलझती।
है अँधेरी रात सी तक़दीर मेरी
मन मगर दीपक जलाना चाहता है।

मन कहीं तो .....
 Its all about me........