लबों पर आ रही है बात मैं बोलूं क्या कैसे कटी थी वो रात मैं बोलूं क्या इक दूसरे में समाए थे हम उस लम्हें में अब सारी की सारी मुलाकात मैं बोलूं क्या इकरार करके अब ज़माने से इंकार ना कर साथ लेंगे फेरे सात मैं बोलूं क्या चाहत बदन की है तुम्हें और इश्क़ कहते हो अरे गिरा दी इश्क़ की औकात मैं बोलूं क्या इक दूसरे की मौत से खुश हो रहे लोग कुछ ऐसे हैं आज के हालात मैं बोलूं क्या #MainBolunKya