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चोट मिरे लगती है दर्द उनको होता है, हाँ सच्चे प्या

चोट मिरे लगती है दर्द उनको होता है,
हाँ सच्चे प्यार में कुछ ऐसा भी होता है।

आँसू अपने होते है गम उनका होता है,
सरहदे.. प्यार में ऐसा थोड़ी ना होता है।

वो बोले मै चुप रहूँ और मै बोलू वो चुप रहे,
महोब्बत में बातों का ये भी एक सलीका होता है।

कुछ मजबुरी मेरी है कुछ मजबुरी उसकी भी ,
दोनो खुश हो जाए ये भी मुमकिन कहाँ होता है।

सब बेगाने होकर इक वो खुदा सी लगती है,
"सेठ" इबादत करना भी आसान कहाँ होता है।

#कवि राहुल सेठ
चोट मिरे लगती है दर्द उनको होता है,
हाँ सच्चे प्यार में कुछ ऐसा भी होता है।

आँसू अपने होते है गम उनका होता है,
सरहदे.. प्यार में ऐसा थोड़ी ना होता है।

वो बोले मै चुप रहूँ और मै बोलू वो चुप रहे,
महोब्बत में बातों का ये भी एक सलीका होता है।

कुछ मजबुरी मेरी है कुछ मजबुरी उसकी भी ,
दोनो खुश हो जाए ये भी मुमकिन कहाँ होता है।

सब बेगाने होकर इक वो खुदा सी लगती है,
"सेठ" इबादत करना भी आसान कहाँ होता है।

#कवि राहुल सेठ