एक प्रगतिशील सामाजिक व्यवस्था के संदर्भ में बोस के विचार एकदम स्पष्ट थे समाज में हस्तियों के लोगों के उत्थान को लेकर वह काफी सगेस्से छुआछूत तथा जाति प्रथा जैसी बुराइयों के विरुद्ध उन्होंने संपूर्ण स्वतंत्र की बात की आधार स्वतंत्र का अर्थ केवल राजनीतिक आजादी नहीं बल्कि सामाजिक बराबरी तथा आर्थिक उत्थान भी है इसका व्यावहारिक रूप आजाद हिंद फौज की संरचना में भी देखने को मिलता है जहां से नियुक्ति जातिगत भेद से पूरी थी यह बात उस समय के लिए आ सकती क्योंकि एक तरफ जहां अंग्रेजन असली आधारित पर स्तरीकरण करते थे वही भारतीयों में भी जातिगत आधार सेना में हावी का था सुभाष चंद्र बोस ऐसे भेदभाव की समाप्ति के पक्षधर थे दूसरी ओर संस्कृत भारत के संबंध में भी बॉस के विचार स्पष्ट थे उनका मानना था कि एक वृत्त भारत की स्थापना के लिए यह अनिवार्य है कि शासन व्यवस्था सामाजिक व्यवस्था का सम्मान किया जाए सामाजिक एकता को भारतीय सूत्र में मुगल करने के लिए हिंदुस्तानी भाषा के पक्ष घर थे हालांकि भाषा और लिपि को लेकर वह बहुत स्पष्ट रूप से कुछ तय नहीं कर पा रहे थे किंतु सामाजिक सद्भाव के प्रति उनके नेता आज संदली थी ©Ek villain #समाज और संस्कृति संबंधी विचार #City