ये शहर , भी क्या शहर है..... हवाओं में धुआँ है, फिज़ाओं में ज़हर है... जर्रे - जर्रे में कुदरत समेटे , कुछ दूर पर मेरा गाँव है . आंगन की सुहानी धूप है , पीपल की ठंडी छाँव है . मेरा गांव है