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उम्मीदें लेकर निकली हूं, नई उम्मीदों के शहर में! क

उम्मीदें लेकर निकली हूं, नई उम्मीदों के शहर में!
कोई अपना नहीं यहां, सब अजनबी हैं ठहरे
फ़िर भी एक आस ठहरी है इस दिल में!
नई उम्मीदें, नया शहर
मैं होऊंगी एक दिन कामयाब,
मेरी मंज़िल है इस "इंतजार-ए-शहर" में!!

©Nidhi Agarwal
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