बेटी बचाओ कल कल कर बहता झरना हर दुल्हन को सोहे सोने का गहना नीले गगन मे उड़ते ढेरों परिंदे अच्छे कर्म कर धरती के बंदे धन दौलत झूठी, शान है झूठी अपने माँ, बाप,की सेवा कर है संजीवनी बूटी शिप मे मिले जैसे मोती, आधी जनता भूखे सोती हमारी हर माँ हर दिन रात बेटी चलते रोती, "जालिम " दहेज लोभी के चलते " माँ " बेटी खोती ©संजय जालिम " आज़मगढी" # बेटी #