दक्षिण से उदय होना सूर्य का अमावस्या में दिखना चाँद का सहरा में उमड़ना सागर का लहरों पे टिकना हर्फ़ों का मुट्ठी में होना हवाओं का अँधेरे में होना परछाइयों का जिस तरह असंभव है प्रकृति में घटित होना इन घटनाओं का शामिल हो रहा है इन्हीं घटनाओं में अपना प्यार एक और असंभव की तरह मैं जानता हूँ संभव नहीं है ख़ुदा तक पहुँचना अपनी दुआओं का फिर भी मैं हर उम्मीद के मिट जाने के बाद ग़र एक लम्हा भी संभव हो मिल जाना हमारी रेखाओं का तो संभव है इस युग में मिल जाना खुदाओं का.... 26.12.1995 #पुरानी_डायरी #पुरानी_यादें #yqbaba #yqdidi