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लंबे अरसे के बाद आज आई बस से आना हुआ शाम का वक्त थ

लंबे अरसे के बाद आज आई बस से आना हुआ
शाम का वक्त था स्टॉप में भीड़ बढ़ती जा रही थी
कोई फोन में बिजी तो कोई इधर-उधर की बाते कर रहा था
कोई चुनावी चर्चा पर तो कोई अखबारों में छपे लेखों के बारे में
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे आज चुनावी जन सभा यही होने वाली है, और सिटी बस से आने वाला कोई नेता हो।
जिसके जाते ही मैदान में केवल पर्चे और धूल उड़ती हुई नजर आती हैं,
हर शख्स की माथे की सिकन बता रही थी की सब जल्दी पहुंचने की दौड़ में हैं, मैं भी इसी दौड़ में शामिल था,
कब नीली बस की जगह पिंक बस में चढ़ गया मालूम ही नही चला,गेट बंद हो चुका था...
तभी एक आवाज आई अरे अरे आप गलत बस में चढ़ चुके हैं
 इधर - उधर नजरे दौड़ने के बाद मालूम हुआ की जहां एक भी पुरुष प्रधान नही थे, हर जगह बस पिंक ही पिंक नजर आ रहा था,अरे भईया रोक दो हम यहीं उतर जाते हैं,अरे नही रोक सकते हैं,अब चढ़ गए हैं तो थोड़ा सफर का मजा लिजिए
नेक्स्ट स्टॉप आयेगा तो उतर जाईयेगा ठिक हैं ...
तभी एक और मोहतरमा बोल पड़ी हर शख्स की निगाहें तो 
गलत नहीं होती शायद मिस्टेक हुआ है ...
हम भी आंखों ही आंखों में शुक्रिया अदा कर आए।

©Birendra Lodhi
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