अहंकार से, क्रोध से पनपी न अवज्ञा हूँ मैं, प्रेम की, सत्कार की, हर जन के विस्तार की प्रज्ञा हूँ मैं। अवज्ञा से प्रज्ञा की ओर का सफर https://nojoto.com/portfolio/fa527f4ba88bb55b02fc891a8316ac63