अपने अहंकार के खातीर रावण को संहारा था, सच-सच बताना राम क्या तुमने वैदेही को तारा था. गर था असलमें प्रेम तुम्हारां क्यों पवित्रता संदेह कियां, केवल धोबी के केहनें पर सीता को अग्नि भेट कियां. तब क्यु ऐसीं हरकत पर हर एक व्यक्ती मौन था, सच छुपायां हर युगोमें अब बताओं रावण कोन था. तुम्हारें पवितत्रताके निकषों कों हमनें अब-तक संभाला हैं, हर अहंकारी रामके पग-पर चलकर सीता को जलायां हैं. ऐसी मर्यादा का फीर में सौ-सौ बार धिक्कार करुं, अनुमती बिन छुवां न जिसने उस रावणकों स्वीकार करुं. #सत्यम_ Shree #दशेहरां #RAAVANA #RAM