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भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर दिल को कोई आसरा मिल

भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर 
दिल को कोई आसरा मिलता नहीं 
खुदा निगहेंबा हो जाए गर हमारा
ज़फा-ए-ज़िंदगी से मिल जाए किनारा हमें 
रोशनी की तलाश अब ख़त्म 
अब अँधेरे हमें  रास आने लगे 
जब से खुश रहने की उम्मीद छोड़ी है 
तब से मुस्कुराने लगे

©ZIKR101 OFFICIAL  zindagi sad shayari shayari on life motivational shayari shayari attitude
भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर 
दिल को कोई आसरा मिलता नहीं 
खुदा निगहेंबा हो जाए गर हमारा
ज़फा-ए-ज़िंदगी से मिल जाए किनारा हमें 
रोशनी की तलाश अब ख़त्म 
अब अँधेरे हमें  रास आने लगे 
जब से खुश रहने की उम्मीद छोड़ी है 
तब से मुस्कुराने लगे

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