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छंद का प्रकार: विधाता मुझे हर बार चाहत में, संभल

छंद का प्रकार: विधाता


मुझे हर बार चाहत में, संभलना रोज आता है
उसे जब भी मनाता हूं, जमाना रूठ जाता है
किसी शतरंज सियासत का पियादा सा मुझे समझो
पनाहो में पहुंच कर भी, दिलो को जीत जाता है #विधाता
छंद का प्रकार: विधाता


मुझे हर बार चाहत में, संभलना रोज आता है
उसे जब भी मनाता हूं, जमाना रूठ जाता है
किसी शतरंज सियासत का पियादा सा मुझे समझो
पनाहो में पहुंच कर भी, दिलो को जीत जाता है #विधाता