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सचेत होकर बैठो, उचट कर बैठो, अपने पंख खोलो, जोर से

सचेत होकर बैठो,
उचट कर बैठो,
अपने पंख खोलो,
जोर से फड़फड़ाओ।
गहरी सांस लो,
ऊपर निहारो,
अम्बर कहाँ ऊँचा है,
छूने की चाह रखो,
उड़ जाओ।।
चन्द्रमा से खेलो,
सूरज से आंख मिलाओ।
जाओ......उड़ जाओ.....

©MSW Sunil Saini CENA पंख (मेरी परछाई)
#mswsunilsainicena 
#Hindi
सचेत होकर बैठो,
उचट कर बैठो,
अपने पंख खोलो,
जोर से फड़फड़ाओ।
गहरी सांस लो,
ऊपर निहारो,
अम्बर कहाँ ऊँचा है,
छूने की चाह रखो,
उड़ जाओ।।
चन्द्रमा से खेलो,
सूरज से आंख मिलाओ।
जाओ......उड़ जाओ.....

©MSW Sunil Saini CENA पंख (मेरी परछाई)
#mswsunilsainicena 
#Hindi

पंख (मेरी परछाई) #mswsunilsainicena #Hindi #कविता