फुटपाथ पे बैठा कोमल मन हाँ मैंने देखा है बचपन....... भट्टों पर धूल फांकते होटल में प्लेट मांजते बोझे का भार उठाते सड़कों पर आवाज लगाते भुखमरी अशिक्षा के पहरों मेें वो बेरंग मलिन चेहरों में वो गाँव गली शहरों में वो भविष्य के गहन अंधेरों में वो कभी सर्दी से खुद को बचाते कभी जादूगरी दिखाते कभी मुट्ठी को अपनी भींचते कभी भरने को पेट चीखते हाँ मैंने.................. ©Rashmi rati #बाल दिवस