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ज़ख़्म दिलों के मैने कब दर्द के जख्मों से शिकायत क

ज़ख़्म दिलों के
मैने कब दर्द के जख्मों से
शिकायत की है,
हां मेरा जुर्म है की,
मैने मोहब्बत की है,
आज फिर देखा है उसे
महफिल में पत्थर बनकर,
मैने आंखों से नही
दिल से बगावत की है,
उसको भूल जाने की
गलती भी नहीं कर सकता,
टूट कर ही तो सिर्फ
उसी से मोहब्बत की है।
मैं और मेरे एहसास

©"Bittu"@Dil shayarana #BHOOL PAOGE
ज़ख़्म दिलों के
मैने कब दर्द के जख्मों से
शिकायत की है,
हां मेरा जुर्म है की,
मैने मोहब्बत की है,
आज फिर देखा है उसे
महफिल में पत्थर बनकर,
मैने आंखों से नही
दिल से बगावत की है,
उसको भूल जाने की
गलती भी नहीं कर सकता,
टूट कर ही तो सिर्फ
उसी से मोहब्बत की है।
मैं और मेरे एहसास

©"Bittu"@Dil shayarana #BHOOL PAOGE