उठ रही है सदाये गूंगी दीवारों से, नदियों में चुपचाप बहती मझधार से, ये देश के नौजवानों डरते हो किस वार से, होना पड़ता है बागी गर मिले ना हक प्यार से, गहरा रिश्ता है हमारा, टीपू की तलवार से बिस्मिल की ललकार से, ये देश के नवजवानो डरते हो तुम किस वार से, होना पड़ता है बागी गर हक ना मिले प्यार से। #ललकार