उठेगा जानजा तेरा भी मेरा भी, बस वक्त का हेर फेर होगा। दोनों के कफ़न का रंग एक जैसा होगा, बस कुछ पल देर होगा।। दो गज जमीन में दफना दिए जायेंगे, हम भी तुम भी, फिर न कोई अपना न पराया होगा। मिल जायेगी माटी की शरीर माटी में, बस नाम ही नाम होगा, जाना तुम्हें भी है जाना हमें भी है, बस वक्त का हेर फेर होगा।। कोई भरोसा नहीं है अपने आप का, कल सुबह है मेरी या बस साथ यहीं तक का, कल हम रहें या तुम न रहो , मानो बस हमारा तुम्हारा साथ यही रात का।। ✍️✍️ अंकित कुमार 🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏 बस वक्त का हेर फेर होगा।।