कल मैं था थोड़ा घबराया , जो तुमसे न मैं मिल पाया। क्या ये वो मेरी गलती थी , जो तूने मुझको ठुकराया। हाँ हो जाता है कुछ ऐसा , जब हम थोड़ा डर जाते हैं। हाँ घट जाता है कुछ वैसा , जो न हम करना चाहते हैं। पर नासमझी क्यूं कर बैठी , विश्वास न मुझपर हो पाया। ऐसी भी क्या वो गलती थी , जो तूने मुझको ठुकराया। एक छोटा बच्चा होता है , जो गलती कर खुश होता है। हर गलती को ठुकराता जो , निर्मल मां का मन होता है। ना तू वो जननी हो पाई , ना मैं वो दुलारा बन पाया। छोटी सी मेरी गलती थी , पर तूने मुझको ठुकराया। कभी गलत कुछ होता है , तो सीख हमें सिखलाता है। भ्रमित पथों के कुनबे से , वो राह हमें दिखलाता है। उस गलती का आभारी हूं , जो सही वक़्त पर कर पाया। और तेरा भी अभिनंदन है , जो तूने मुझको ठुकराया। ©पराग_पल्लव #DPF #ABHINANDAN #SHARE #POETRY_LOVE