हे मधुर भोर, हे नवल प्रात .... तुम हो जीवन की नई आस...! तुम हो उषा की नई उमंग ... जैसे जीवन में हो इक बसंत ...!! नव ऊर्जा का तुम हो प्रताप ... दृढ़ता का देती हो आभास...! सरिता की अविरल कल - कल सी ... जैसे जीवन है इक प्रवाह....!! @ -A.r घन - घन वारिद की बूंदों सी .. देती कण - कण में नवल श्वास ..! तटिनी के तरल तरंगों सी ... जैसे ममता के अंचल सी ...!! सूरज की लाली से निकल ,जैसे पल्लव देता एक मुस्कान ... हे मां सृष्टि दो अंजुलि में एक धैर्य वरदान ...! खींचे शिखर तक एक नई लीक..... उद्यांचल से अस्तांचल तक , बने जीवन का एक अमिट प्रतीक ...!!-अंजली राय #तुम_हो_जीवन_की_उषा✍️💐❤️ हे मधुर भोर, हे नवल प्रात .... तुम हो जीवन की नई आस...! तुम हो उषा की नई उमंग ... जैसे जीवन में हो इक बसंत ...!! नव ऊर्जा का तुम हो प्रताप ...