गुमान में थे सो गुमान अच्छा लगा उड़ते परिंदे को आसमान अच्छा लगा मुसाफ़िर ने नहीं बनाया है घरौंदा कोई चलते को सारा जहान अच्छा लगा किराए के दर में अब घुट रहा है दम मुझे मेरा कच्चा मकान अच्छा लगा उसकी हर अदा लगने लगी है अच्छी उसके होठों को छूता पान अच्छा लगा किसकी करूँ बुराई बता तू आला मुझे मुझसे बड़कर हर इंसान अच्छा लगा gumaan #nojoto#nojoto hindi