..... Good morning, जो खुशी हमेशा से ही हमारे अंदर है हम क्यूँ उसे किसी और में ढूंढ़ते हैं हमेशा ही, त्वज्जोह अब खुद को दी जाय तो कसम ज़िन्दगी क्या से क्या हो जाये,! आपका मन इतना सशक्त तो होना ही चाहिए की कोई अन्य उसे कष्ट - हानि या क्षति न पहुंचा पाए, आप स्वंय निमंत्रण पत्र भेजते हैं किसी और को कि वे आये और आपको आहत करे, अब जब मन हमारा है तो कम से कम यह तो हमारे खुद के नियंत्रण में होना ही चाहिए, वरना किसी दिन आपके जीवन की हर महत्वपूर्ण गतिविधि पर किसी और ही स्वामित्व हो जायेगा, और आप किसी दर्शक की भांति देखते रह जायेंगे,! © 'अल्प'