बेताब हैं नजरें तुम्हारे दीदार को इस कदर, जैसे रेलवे फाटक खुलने का इंतजार हो।। — आयूष जी श्रीवास्तव । ©Ayush Srivastava बेताब हैं नजरें तुम्हारे दीदार को इस कदर, जैसे रेलवे फाटक खुलने का इंतजार हो।। ———आयूष जी श्रीवास्तव