ना दिल वो रहा ना धड़कन ना ही अब वो वो रहे किसको हाल अपना बताएँ रूह कब तक ज़ख्म सहे! वक़्त की कालकोठरी में क़ैद किए थे सब ज़ज़्बात इख़्तियार रहता नहीं आख़िर बयाँ हो ही जाते हैं हालात वो जो ना होते कभी ज़िंदगी में दाख़िल ना बहते अश्क़ ये जो दिन रात बहे ज़िस्म तो ख़ैर मुर्दा रह गया अब रूह को रूह मिले तब कोई बात कहे! ♥️ Challenge-613 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।