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लाशों के बीच भी लाशों के बीच भी लाशों के बीच भी क

लाशों के बीच भी लाशों के बीच भी

लाशों के बीच भी कुछ
जिंदगीयां हैं जो पलती हैं,
बजह हो गर मुस्कुराने की 
तो वहां भी चल पड़ती है।
मातम तो दस्तूर है बादल
इस इश्क ए जहांन का,
लाशों के बीच भी लाशों के बीच भी

लाशों के बीच भी कुछ
जिंदगीयां हैं जो पलती हैं,
बजह हो गर मुस्कुराने की 
तो वहां भी चल पड़ती है।
मातम तो दस्तूर है बादल
इस इश्क ए जहांन का,

लाशों के बीच भी लाशों के बीच भी कुछ जिंदगीयां हैं जो पलती हैं, बजह हो गर मुस्कुराने की तो वहां भी चल पड़ती है। मातम तो दस्तूर है बादल इस इश्क ए जहांन का,