ज़िंदगी तो रोज़ ही मौक़ा देती हैं हमें अपनी ग़लतियों को सुधारने का, गुज़रे हुए क़िस्से भुला कर फ़िर से इक नई कहानी लिखने का, लेकिन हम इंसानों में भी अक्सर यही बुराई है कि , हर बार ज़िंदगी का दिया हुआ वो मौक़ा गॅंवा देते हैं हम। हम अपनी ग़लतियों पर शर्मिंदा होते हैं, पछताते भी हैं लेकिन उन ग़लतियों की माफ़ी माॅंग लेने का या फ़िर उन्हें ठीक करने का हौसला अपने अंदर नहीं रखते हम। हाॅं, लेकिन वही ग़लतियाॅं, वही क़िस्से बार-बार दोहरा देते हैं हम। गुज़री हुई बातों को दिल में सजा कर उन बातों पर दुखी रहना तो पसंद करते हैं लेकिन गुज़रे हुए किस्सों को नज़र-अंदाज़ कर के फ़िर से कोई नई कहानी लिखने की कोशिश ही नहीं करते हम। ग़लतियाॅं इंसानों से ही होती हैं और हम भी इंसान ही हैं कोई फ़रिश्ता तो नहीं, ये बात हम सब जानते तो हैं लेकिन इस बात को समझते ही नहीं है हम । जब तक हम ख़ुद को, ख़ुद की ग़लतियों के लिए माफ़ नहीं करेंगे तब तक दूसरों की ग़लतियों को भी हम माफ़ नहीं कर पाएंगे, इस बात को न जाने कब समझेंगे हम ?? माज़ी में ही गुमशुदा रहेंगे अगर तो मुस्तक़बिल की तरफ़ कब देखेंगे हम ?? ज़िंदगी तो रोज़ ही मौक़ा देगी हमें ,इक नई शुरुआत करने का लेकिन क्या हर मौक़े को कभी अपनी अना, कभी अपनी guilt तो कभी ग़लत-फ़हमीयों की वजह से हर बार यूॅं ही गॅंवा देंगे हम ?? #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi #Zindagi #mauqaa #Qisse #nojotohindi #Quotes #29oct