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गणपती स्तवन। आरंभी वंदीतो गणा। शिवसुता तुला निर्ग

गणपती स्तवन।

आरंभी वंदीतो गणा। शिवसुता तुला निर्गुना।
ॐ कार रूप सगुणा। गौरीनंदना।। धृ।।

इया कार्याची सिद्धी। तुची देई बा बुद्धि।
व्हावी लेखनास वृद्धी।तवकृपेने।।१।।

ऐसा मांडीला अट्टहास।देई दृष्टि पामरास।
अज्ञानाच्या महामेरुचे।अज्ञान संपवावे।।२।।

 कवीराज तुझाचीअंश।मांडीतो  जो सारांश।
द्यावा त्यास तथ्यांश। स्वहस्ते।।३।।

कविराज।
8698845253 गणपती स्तवन।
गणपती स्तवन।

आरंभी वंदीतो गणा। शिवसुता तुला निर्गुना।
ॐ कार रूप सगुणा। गौरीनंदना।। धृ।।

इया कार्याची सिद्धी। तुची देई बा बुद्धि।
व्हावी लेखनास वृद्धी।तवकृपेने।।१।।

ऐसा मांडीला अट्टहास।देई दृष्टि पामरास।
अज्ञानाच्या महामेरुचे।अज्ञान संपवावे।।२।।

 कवीराज तुझाचीअंश।मांडीतो  जो सारांश।
द्यावा त्यास तथ्यांश। स्वहस्ते।।३।।

कविराज।
8698845253 गणपती स्तवन।

गणपती स्तवन।