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चलना है अभी तुझको राही, दूर कहीं पथ पर.. आने वाली

चलना है अभी तुझको राही, दूर कहीं पथ पर.. 
आने वाली परिस्थितियों का, सामना करना तू डटकर.. 
कहीं खुशियों के फूल खिलेंगे, कहीं गमों के पहाड़... 
बन तू इतना निडर जैसे शेर की दहाड़... 
कई अनजान चेहरे होंगे, कई मिलेंगे धोखे... 
मत होना रूबरू उनसे, जो तेरे कदमों को रोके... 
तब मंजिल दूर भी हो, लगने लगेगी पास... 
कैसे पार किया तूने पथ, तब तुझे होगा अहसास... 
लहरों से लडना है तुझे, किनारे को मत जाना भूल... 
धूंधला कर दे जो राह को तेरी, मिटा देना वो धूल... 
बस आगे बढ़ते जाना
     बस आगे बढ़ते जाना..!!

©kajal gurbani #Hindi #Poetry 

#alone
चलना है अभी तुझको राही, दूर कहीं पथ पर.. 
आने वाली परिस्थितियों का, सामना करना तू डटकर.. 
कहीं खुशियों के फूल खिलेंगे, कहीं गमों के पहाड़... 
बन तू इतना निडर जैसे शेर की दहाड़... 
कई अनजान चेहरे होंगे, कई मिलेंगे धोखे... 
मत होना रूबरू उनसे, जो तेरे कदमों को रोके... 
तब मंजिल दूर भी हो, लगने लगेगी पास... 
कैसे पार किया तूने पथ, तब तुझे होगा अहसास... 
लहरों से लडना है तुझे, किनारे को मत जाना भूल... 
धूंधला कर दे जो राह को तेरी, मिटा देना वो धूल... 
बस आगे बढ़ते जाना
     बस आगे बढ़ते जाना..!!

©kajal gurbani #Hindi #Poetry 

#alone