पल्लव की डायरी ख्वावो को सजाने में मीत से मिलने तो दे उनके प्यार को भी मुझे पढ़ने तो दे हया शर्म और आँखे वेवफा है नये शख्स के आगे झुक जाती है दिल की गहराई ना पढ़ पाती है हुस्न के दीदार करते ही पिघल जाती है भरोसे पैदा करने में कभी कभी उम्र भी कम पड़ जाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Love भरोसा पैदा करने में कभी कभी उम्र कम पड़ जाती है #Love