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पल्लव की डायरी ख्वावो को सजाने में मीत से मिलने तो

पल्लव की डायरी
ख्वावो को सजाने में
मीत से मिलने तो दे
उनके प्यार को भी
मुझे पढ़ने तो दे
हया शर्म और आँखे वेवफा है
नये शख्स के आगे झुक जाती है
दिल की गहराई ना पढ़ पाती है
हुस्न के दीदार करते ही पिघल जाती है
भरोसे पैदा करने में कभी कभी
उम्र भी कम पड़ जाती है
                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Love 
भरोसा पैदा करने में कभी कभी उम्र कम पड़ जाती है
#Love
पल्लव की डायरी
ख्वावो को सजाने में
मीत से मिलने तो दे
उनके प्यार को भी
मुझे पढ़ने तो दे
हया शर्म और आँखे वेवफा है
नये शख्स के आगे झुक जाती है
दिल की गहराई ना पढ़ पाती है
हुस्न के दीदार करते ही पिघल जाती है
भरोसे पैदा करने में कभी कभी
उम्र भी कम पड़ जाती है
                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Love 
भरोसा पैदा करने में कभी कभी उम्र कम पड़ जाती है
#Love

#Love भरोसा पैदा करने में कभी कभी उम्र कम पड़ जाती है #Love