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क्यों लाखों की इस भीड़ में मुझको अक्सर तन्हा सा लगत

क्यों लाखों की इस भीड़ में मुझको
अक्सर तन्हा सा लगता है,
क्यों अपनों की इस बस्ती में मुझको
हर कोई सपना सा लगता है,
क्यों नहीं रुकता कोई
जब आंसू मेरे बहते हैं,
क्या मेरा रोना भी उनको
कुछ कुछ हँसने सा लगता है?

क्यों रातों को जागके भी मैं
खुदसे ही बातें करता हूँ
क्यों पाने को एक दोस्त भी मैं
हज़ारों मुरादें करता हूँ
क्यों अक्सर ही गिरता हूँ मैं
किसी और को उठाने में
क्यों अक्सर ही हारता हूँ मैं
किसी और का प्यार पाने में
क्यों अक्सर महफ़िल में मैं
सायों का साथ निभाता हूँ
क्या मेरा होना भी उनको
कुछ कुछ न होने सा लगता है?

क्यों लाखों की इस भीड़ में मुझको
अक्सर तन्हा सा लगता है
क्यों अक्सर तन्हा लगता है क्यों तन्हा सा लगता है?

#तन्हा #महफ़िल #भीड़ #आँसू #दोस्त #मुरादें
#truth #real #loneliness #alone #sad #friendship #Love #Failure #Broken #toshijai #kalakaksh #poetry  Satyaprem Kalakaksh
क्यों लाखों की इस भीड़ में मुझको
अक्सर तन्हा सा लगता है,
क्यों अपनों की इस बस्ती में मुझको
हर कोई सपना सा लगता है,
क्यों नहीं रुकता कोई
जब आंसू मेरे बहते हैं,
क्या मेरा रोना भी उनको
कुछ कुछ हँसने सा लगता है?

क्यों रातों को जागके भी मैं
खुदसे ही बातें करता हूँ
क्यों पाने को एक दोस्त भी मैं
हज़ारों मुरादें करता हूँ
क्यों अक्सर ही गिरता हूँ मैं
किसी और को उठाने में
क्यों अक्सर ही हारता हूँ मैं
किसी और का प्यार पाने में
क्यों अक्सर महफ़िल में मैं
सायों का साथ निभाता हूँ
क्या मेरा होना भी उनको
कुछ कुछ न होने सा लगता है?

क्यों लाखों की इस भीड़ में मुझको
अक्सर तन्हा सा लगता है
क्यों अक्सर तन्हा लगता है क्यों तन्हा सा लगता है?

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