भू से वो आकाश तक तिमिर से वो प्रकाश तक कण कण में है निहित वही विनाश से विकास तक है आरम्भ,खुद ही अन्त भी,क्षणिक वही अनंत भी हर जीव में है वो बसा मृतक वही जीवंत भी वो आंधियों के वेग में वो सुर्य के भी तेज में वही गंगा के प्रवाह में वही लहरों के प्रवेग में पुरुषो का पुरुषार्थ वो तो स्त्री का श्रृंगार भी शीतल कभी है चंद्र सा कभी प्रज्वलित अंगार भी दृष्टी कभी जो डाल दे वो काल को भी टाल दे वो काल से भला क्या डरे शरण जिसे महाकाल दे ज्ञनियों का ज्ञान है हर भक्त का अभिमान है सर्वज्ञ है वो सर्वव्यापी वो सर्वशक्तिमान है #mahakal #harharmahadev #yqdidi #yqquotes #h_rquotes